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Siraj Dehlvi
 
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SIRAJ DEHLVI : Aik Be Naam Tasalli Ke Siwa Kuchh Na Mila
        
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ग़ज़ल 
	

एक बेनाम तस्सली के सिवा कुछ न मिला, 
इश्क़ में दिल को खराबी के सिवा कुछ न मिला,, 

मैने चाहा था के मुझको भी सुकुं हासिल हो, 
मेरे इस दिल को तबाही के सिवा कुछ न मिला,, 
 
मेरी हसरत थी के हर रह पे जलाऊँ दीपक, 
रास्तों में मुझे आंधी के सिवा कुछ न मिला,, 

दिल की गहराई से मिलता रहा सबसे लेकिन, 
मुझको लोगों से बुराई के सिवा कुछ न मिला,, 

थी तमन्ना मेरी कुछ फूल चुनूँ  गुलशन में, 
खुरदुरे हाथों में मिट्टी के सिवा कुछ न मिला,, 

इसने चाहा था के  खुशियों का जहाँ मिल जाये, 
दिल के ज़ज्बों को तबाही के  सिवा कुछ न मिला,, 

चार तिनकों के सिवा कुछ न था जिस में ए ‘सिराज’, 
उस नशेमन को भी बिजली के सिवा कुछ न मिला...!

 
Comments


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  • Jawaid Mahmood
    09-03-2015 06:46:34
    Waah Bahut Khoob Kaha Hai Aapne Siraj Dehlvi Sb
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